गजलकार मेहदी हसन का परिवार तंगी में, 21 दिन तक कटी रही बिजली
नई दिल्ली.29 अप्रैल 2021
पाकिस्तान में कलाकारों की बुढ़ापे में दुर्गत कोई नई बात नहीं है और मेहदी हसन जैसे मशहूर गजलकार और कंपोजर के आखिरी दिन बहुत बदनसीबी और अभाव में गुजरे. उनके गुजर जाने के बाद उनका परिवार अब फाकामस्ती को मजबूर है. शहंशाह-ए-गजल के बड़े बेटे आरिफ मेहदी का निधन बीती चार अप्रैल को कराची में हुआ.
इससे पहले बिल न देने के कारण उनके घर की बिजली काट दी गई थी जो कि 21 दिन तक कटी रही. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि परिवार किस तरह तंगी में दिन बिता रहा है. उनका घर कराची में तीसरी मंजिल पर था और गर्मी की वजह से आरिफ मेहदी की हालत और बिगड़ती गई. इसके बाद उनका इंतकाल हो गया. उनके एक और बेटे आसिफ मेहदी की भी तबीयत खराब रहती है. पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, आसिफ मेहदी कैंसर व अन्य कई बीमारियों से जूझ रहे हैं. आसिफ मेहदी साल 2009 में भारत भी आए थे और यहां उनका शो आयोजित हुआ था.
मेहदी हसन के शिथिल हो जाने के बाद इनका परिवार आर्थिक तौर पर काफी टूट गया. इनके बड़े बेटे आरिफ मेहदी तबला वादक थे और पिता के कार्यक्रमों का आयोजन भी इनके जिम्मे रहता था. छोटे बेटे अच्छे गायक हैं. मेहदी हसन ने आर्थिक दुर्गति अपने जीवनकाल में ही देख ली थी. जब उनकी तबीयत आखिरी दिनों में बहुत खराब थी तब उनके इलाज के लिए बहुत अपमानजनक तरीका अख्तियार किया गया था. उनके इलाज के वास्ते चंदा जमा करने के लिए मेहदी हसन को व्हील चेयर पर बैठाया गया और पूरे स्टेडियम का चक्कर लगवाया गया. यानी चंदा जुटाने का काम बिल्कुल भीख मंगवाने की तर्क पर किया गया.
जानकारी के लिए बता दें कि मेहदी हसन का जन्म भारत के राजस्थान में लूणी नामक जगह में हुआ था. वे संगीत घराने से ताल्लुक रखते थे. बंटवारे के बाद वे पाकिस्तान चले गए. पाकिस्तान में शुरुआत में उन्होंने मोटरसाइकिल मैकेनिक का काम भी किया. इसके बाद उन्हें रेडियो पाकिस्तान में गाने का मौका मिला और उनके दिन बदलने शुरू हुए. मेहदी हसन पहले शख्स थे जिन्होंने भारतीय क्लासिकल रागों में गजलों को पिरोने का काम किया. इससे पहले कुछ चुनिंदा रागों में ही गजलें गाई जाती थीं. मेहदी हसन ने जिंदगी में 25 हजार से ज्यादा गजलें और गाने गाए. पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है, गुलों में रंग भरे बादलो बहार चले, तू खयाल है किसी और का..जैसी गजलों को अपना सुर देकर अमर कर दिया.